अस्सलामु अलैकूम या उख्तुल उम्मत सानिया मिर्ज़ा ।
इस वक़्त आपका Carreir गिरावट की तरफ है ।
यह मेरी पिछली post के बिल्कुल बाद शुरू हुआ है।
पर इसका मतलब यह नहीं कि मैंने कोई पेशीन्गोई की थी ।
बल्कि मैंने तो सिर्फ नसीहत की थी ।
हकीक़तन मैं नहीं जानता कि मेरे उस ख्वाब का दूसरा हिस्सा पूरा हो चूका है।
मैं गैब की खबर नहीं जानता ।
मगर मैं इतना जानता हूँ कि इसलाम ही हकीकी मज़हब है।
और जो इसलाम के हुक्मों को न माने तो उसके लिए दुनिया में भी नुकसान है और आखिरत में भी।
बल्कि सच तो यह है कि हमने इसलाम को अमल में लाना बंद कर दिया । इसलिए इस्लाम हमारी निगाह में ग़ैर यकीनी हो गया ।
हमने दुनिया पर मिहनत की इसलिए दुनिया हमारी निगाह में यकीनी हो गयी ।
बात ये है कि इंसान जिस चीज़ पर मिहनत करता है ,उसमे उसका ईमान बनता है ।
मिहनत ३ किस्म की है -
१ अल्लाह के रास्ते में जान खर्च करना
२ अल्लाह के रास्ता में माल खर्च करना
३ अल्लाह के रास्ते में वक़्त खर्च करना
यह तीनों चीज़ें तब्लीगी जमात मी ही हासिल होती हैं।
इसलिए आपके लिए येही बेहतर है कि आप जल्द से जल्द अपना वक़्त अल्लाह की राह में चार महीने लगा कर अपना ईमान ताज़ा करें
वास्सलाम अल खैर जजा
Sunday, October 21, 2007
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EID MUBARAK
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